Rainbow को हिंदी में इंद्रधनुष कहा जाता है। यह देखने में बेहद ही आकर्षक और सुंदर लगता है। ज्यादातर बच्चे और महिलाओं को इंद्रधनुष बहुत ही पसंद होता है।
इंद्रधनुष(रेनबो, rainbow) एक मौसम संबंधी फंडा यानि घटना है. इंद्रधनुष पानी की बूंदों में प्रकाश के परावर्तन(reflection), अपवर्तन(refraction) और फैलाव(dispersion) के कारण बनने वाला एक संयोजन(combination) होती है जिसके परिणामस्वरूप आकाश में प्रकाश का एक स्पेक्ट्रम(spectrum) यानि रंगावली दिखाई पड़ता है। अंतत: यह बहुरंगी गोलाकार चाप(arc) का रूप ले लेता है। सूरज की रोशनी से होने वाली रेनबो आकाश में हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में दिखाई देती है।
1. इंद्रधनुष सात रंगों से मिलकर बनता है I
2. इंद्रधनुष बरसात के बाद नजर आता है I
3. यह पूरे आसमान में सबसे अलग लगता है I
4. यह देखने में बहुत सुंदर और आकर्षित होता है I
5. पृथ्वी पर एक जगह ऐसी है जहां एक साथ 7 इंद्रधनुष निकलते हैं I
6. यह प्राकृतिक कलाकृति है जो अपने आप दिखाई देती है I
7. इसके अंदर पीला हरा नारंगी नीला बैंगनी और गहरा नीला रंग होता है I
8. इंद्रधनुष गोल आकार का होता है लेकिन हमें धरती से यह आधा ही दिखाई देता है I
9. यह धनुष की आकृति में में हल्का-हल्का दिखाई देता है I
10. बच्चे इंदरधनुष को देख कर बहुत खुश हो जाते हैं I
इंद्रधनुष बरसात के दिनों में नजर आता है बरसात के बाद आसमान में इंद्रधनुष दिखाई देता है।
इंद्रधनुष को अंग्रेजी में रेनबो (Rainbow) के नाम से भी जाना जाता है।
सबसे पहले इंद्रधनुष के बारे में सन 1236 में एक पर्सियन खगोलविद क़ुतुब अल दिन सिराजी के द्वारा बताया गया था।
इंद्रधनुष (Rainbow) देखने से हमारे शरीर में सकरात्मक उर्जा का संचार होता है।
इंद्रधनुष (Rainbow) को सात रंगों का झूला के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह सात रंगों से मिलकर बना होता है जैसे लाल , पीला , हरा , नारंगी , नीला ,बैंगनी और गहरा नीला।
इंद्रधनुष से सूर्य और वर्षा का मेल होता है।
इसे भगवान इंद्र का धनुष भी कहा जाता है क्योंकि इंद्र को बारिश का देवता समझा जाता है ।
इंद्रधनुष यानि के सात रंगा झूला पानी की लाखों बूंधों के अपवर्तन से बना होता है।
यह मुख्य रूप से गोल आकृति का बना होता है।
कैसे बनता है
जब वर्षा की बूंदों पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो यह रिफ्लेक्ट यानी के तिरछी हो जाती हैं फिर बूंदों से निकलते समय लाइट रिफ्लेक्ट यानी के प्रतिबिंब बनाती हैं सूर्य की किरणें कई कोणों पर रिफ्लेक्ट होती हैं जिस कारण इंद्रधनुष बनता है।
इंद्रधनुष (Rainbow) की बाहरी परत लाल रंग में होती है क्योंकि लाल रंग का प्रकाश कम मुड़ता है जबकि सबसे अंदर की परत बैंगनी रंग की होती है क्योंकि इसका प्रकाश सबसे ज्यादा मुड़ता है ।
जब धरती के वातावरण में बारिश की बूंदों पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो आसमान में लाइट का प्रतिबिंब बन जाता है जो कई रंगों वाले इंद्रधनुष का रूप ले लेता है।
इसके इलावा पानी की धार के पीछे पड़ने वाली सूरज की किरणों में भी इंद्रधनुष बनता है।
आसमान में रेनबो यानी के इन्द्रधनुष का बनना बारिश की छोटी छोटी बूंदों का कमाल होता है बारिश के दिनों में यहीं बूंदे एक प्रिज्म का काम करती हैं यदि एक प्रिज्म में देखा जाए तो इससे पता चलता है के कैसे सूरज की किरणें सात रंगों में बिखर जाती है। रोजाना जो हम रौशनी देखते हैं वो सफेद नहीं होती बल्कि वह कई रंगों से मिलकर बनी होती है परन्तु रेनबो के समय यह उल्ट हो जाती है मतलब यह हमें तब दिखती है जब रौशनी अपने सात रंगों में दिखाई देने लगती है यह रोशनी सात रंगों में बारिश के मौसम में दिखाई देने लगती है।
आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है। वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है।
Rainbow Kya Hai in Hindi
इंद्रधनुष(रेनबो, rainbow) एक मौसम संबंधी फंडा यानि घटना है. इंद्रधनुष पानी की बूंदों में प्रकाश के परावर्तन(reflection), अपवर्तन(refraction) और फैलाव(dispersion) के कारण बनने वाला एक संयोजन(combination) होती है जिसके परिणामस्वरूप आकाश में प्रकाश का एक स्पेक्ट्रम(spectrum) यानि रंगावली दिखाई पड़ता है। अंतत: यह बहुरंगी गोलाकार चाप(arc) का रूप ले लेता है। सूरज की रोशनी से होने वाली रेनबो आकाश में हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में दिखाई देती है।
Amazing 10 Facts of Rainbow in Hindi
1. इंद्रधनुष सात रंगों से मिलकर बनता है I
2. इंद्रधनुष बरसात के बाद नजर आता है I
3. यह पूरे आसमान में सबसे अलग लगता है I
4. यह देखने में बहुत सुंदर और आकर्षित होता है I
5. पृथ्वी पर एक जगह ऐसी है जहां एक साथ 7 इंद्रधनुष निकलते हैं I
6. यह प्राकृतिक कलाकृति है जो अपने आप दिखाई देती है I
7. इसके अंदर पीला हरा नारंगी नीला बैंगनी और गहरा नीला रंग होता है I
8. इंद्रधनुष गोल आकार का होता है लेकिन हमें धरती से यह आधा ही दिखाई देता है I
9. यह धनुष की आकृति में में हल्का-हल्का दिखाई देता है I
10. बच्चे इंदरधनुष को देख कर बहुत खुश हो जाते हैं I
Amazing Facts of Rainbow in Hindi
- 1637 में रेने डेकार्टेस ने पाया कि बारिश से सूरज से प्रकाश अलग-अलग रंगों में विभाजित होने के कारण इंद्रधनुष होता है।
- 17 वीं शताब्दी तक, पश्चिमी विचारक इंद्रधनुष पांच रंगों पर सहमत थे- लाल, पीला, हरा, नीला, और बैंगनी।
- 1666 में, इसहाक न्यूटन ने इंद्रधनुष में नीलि और नारंगी जोड़ा।
- एक इंद्रधनुष वास्तव में अस्तित्व में नहीं है। यह एक वस्तु नहीं है, यह एक ऑप्टिकल घटना है। यही कारण है कि दो लोग एक ही इंद्रधनुष नहीं देखते हैं।
- जब सूरज की किरण एक बार से अधिक पानी की बूंद के अंदर bounces होता है, डबल इंद्रधनुष होती है।
- 14 मार्च, 1994 को इंग्लैंड के शेफील्ड पर दुनिया की सबसे लंबी स्थायी इंद्रधनुष देखी गई – यह 9 बजे से शाम 3 बजे तक चली।
- इंद्रधनुष mist, fog, समुद्री स्प्रे, झरने और कहीं भी हो सकती है जहां सूरज की किरण आकाश में पानी से मिलता है और कोण 42 डिग्री से होते हैं।
- इंद्रधनुष हमेशा सुबह और शाम को ही दिखाई देता है बहुत ही कम होता है की दोपहर में भी इंद्रधनुष बने इसका कारण यह है की इंद्रधनुष बनने के लिए सूर्य की किरण बारिश के बूंदों पर 42 डिग्री पर पढ़ना होता है लेकिन दोपहर में सूर्य की किरण 42 डिग्री से भी ज्यादा होता है।
More Information Amazing Facts of Rainbow in Hindi
इंद्रधनुष को अंग्रेजी में रेनबो (Rainbow) के नाम से भी जाना जाता है।
सबसे पहले इंद्रधनुष के बारे में सन 1236 में एक पर्सियन खगोलविद क़ुतुब अल दिन सिराजी के द्वारा बताया गया था।
इंद्रधनुष (Rainbow) देखने से हमारे शरीर में सकरात्मक उर्जा का संचार होता है।
इंद्रधनुष (Rainbow) को सात रंगों का झूला के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह सात रंगों से मिलकर बना होता है जैसे लाल , पीला , हरा , नारंगी , नीला ,बैंगनी और गहरा नीला।
इंद्रधनुष से सूर्य और वर्षा का मेल होता है।
इसे भगवान इंद्र का धनुष भी कहा जाता है क्योंकि इंद्र को बारिश का देवता समझा जाता है ।
इंद्रधनुष यानि के सात रंगा झूला पानी की लाखों बूंधों के अपवर्तन से बना होता है।
यह मुख्य रूप से गोल आकृति का बना होता है।
कैसे बनता है
जब वर्षा की बूंदों पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो यह रिफ्लेक्ट यानी के तिरछी हो जाती हैं फिर बूंदों से निकलते समय लाइट रिफ्लेक्ट यानी के प्रतिबिंब बनाती हैं सूर्य की किरणें कई कोणों पर रिफ्लेक्ट होती हैं जिस कारण इंद्रधनुष बनता है।
इंद्रधनुष (Rainbow) की बाहरी परत लाल रंग में होती है क्योंकि लाल रंग का प्रकाश कम मुड़ता है जबकि सबसे अंदर की परत बैंगनी रंग की होती है क्योंकि इसका प्रकाश सबसे ज्यादा मुड़ता है ।
जब धरती के वातावरण में बारिश की बूंदों पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो आसमान में लाइट का प्रतिबिंब बन जाता है जो कई रंगों वाले इंद्रधनुष का रूप ले लेता है।
इसके इलावा पानी की धार के पीछे पड़ने वाली सूरज की किरणों में भी इंद्रधनुष बनता है।
आसमान में रेनबो यानी के इन्द्रधनुष का बनना बारिश की छोटी छोटी बूंदों का कमाल होता है बारिश के दिनों में यहीं बूंदे एक प्रिज्म का काम करती हैं यदि एक प्रिज्म में देखा जाए तो इससे पता चलता है के कैसे सूरज की किरणें सात रंगों में बिखर जाती है। रोजाना जो हम रौशनी देखते हैं वो सफेद नहीं होती बल्कि वह कई रंगों से मिलकर बनी होती है परन्तु रेनबो के समय यह उल्ट हो जाती है मतलब यह हमें तब दिखती है जब रौशनी अपने सात रंगों में दिखाई देने लगती है यह रोशनी सात रंगों में बारिश के मौसम में दिखाई देने लगती है।
Amazing Facts of Rainbow in Hindi Wiki
आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है। वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है।
एक इंद्रधनुष ऐसा भी बनना संभव है जिसमें वक्र का बाहरी वर्ण बैंगनी रहे तथा भीतरी लाल। इसको द्वितीयक (सेकंडरी) इंद्रधनुष कहते हैं।
तीन अथवा चार आंतरिक परावर्तन से बने इंद्रधनुष भी संभव हैं, परंतु वे बिरले अवसरों पर ही दिखाई देते हैं। वे सदैव सूर्य की दिशा में बनते हैं तथा तभी दिखाई पड़ते हैं जब सूर्य स्वयं बादलों में छिपा रहता है। इंद्रधनुष की क्रिया को सर्वप्रथम दे कार्ते नामक फ्रेंच वैज्ञानिक ने उपर्युक्त सिद्धांतों द्वारा समझाया था। इनके अतिरिक्त कभी-कभी प्रथम इंद्रधनुष के नीचे की ओर अनेक अन्य रंगीन वृत्त भी दिखाई देते हैं। ये वास्तविक इंद्रधनुष नहीं होते। ये जल की बूँदों से ही बनते हैं, किंतु इनका कारण विवर्तन (डिफ़्रैक्शन) होता है। इनमें विभिन्न रंगों के वृतों की चौड़ाई जल की बूँदों के बड़ी या छोटी होने पर निर्भर रहती है।
तो हमें बताएं की इंद्रधनुष के बारे में हमारी यह सीमित जानकारी आपको कैसी लगी. पसंद आये तो इसे शेयर करें और नयी जानकारी के लिए हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें
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